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मंत्रों का जाप कैसे करें? जटिलताएं और रहस्य इस प्रश्न को छुपा देती हैं। हालाँकि, वास्तव में मंत्र जाप की प्रक्रिया बहुत सरल है। आइए इस रहस्य से पर्दा उठाएं।
उपचारात्मक ज्योतिष में मंत्रों का विशेष महत्व है। हम सभी ने अपने जीवन में किसी-न-किसी समय जाने या अनजाने में मंत्र पाठ किया है। उदाहरण के लिए दिव्य ओम् / ऊँ अपने आप में एक शक्तिशाली मंत्र है जिसका हम अक्सर जप करते हैं। ऋषियों ने पूरे समाज के हित के लिए मंत्रों की रचना की है। कालांतर में दुर्भाग्य से, यह कुछ चुनिंदा लोगों का विशेषाधिकार बन गया जिन्होंने मंत्र-जाप की प्रक्रिया को बहुत जटिल बनाकर उसपर एकाधिपत्य कर लिया। इसलिए मंत्रों का ज्ञान बहुत प्रतिबंधित हो गया। जिनके पास यह ज्ञान था उन्होंने अपने स्वार्थ के अनुरूप इनमें उलटफेर कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप, मंत्रों के जाप की प्रक्रिया रहस्मयी हो गई है। लेकिन वास्तविकता यह है कि मंत्र-जाप बहुत सरल एवं लाभकारी प्रक्रिया है जिसका सभी को भरपूर लाभ लेना चाहिए।
मंत्रों का जाप करने के तरीके को लेकर आम तौर पर पूछे जाने वाले प्रश्न:
मंत्रों का जाप कैसे करें, इस सवाल के इर्द-गिर्द कई मुद्दे घूमते हैं। आइए हम सबसे आम मुद्दों को संबोधित करते हैं:
प्र.1. क्या अधिकतम प्रभाव के लिए मंत्र का जाप करने की कोई विशेष विधि है?
उत्तर: शास्त्र और ग्रंथों में अधिकतम प्रभाव के लिए मंत्र का जाप करने के लिए कोई स्पष्ट विधि निर्धारित नहीं की गई है। उचित ज्योतिष निदान और जाप करते समय 'श्रद्धा' वह तत्व है जो मंत्रों को प्रभावशील बनाते हैं ।
प्र. 2. किसी मंत्र का जाप करने का सबसे सही समय कौन सा है? क्या मंत्रों का जाप सुबह करना अनिवार्य है? क्या हम सूर्यास्त के बाद या रात में मंत्र का जाप कर सकते हैं?
उत्तर: लगभग 99% मंत्रों के लिए, कोई भी समय जाप के लिए शुभ होता है। (हालांकि, कुछ विशिष्ट मंत्रों को करने के लिए, ग्रंथों में विशेष घड़ी या प्रहर निर्धारित किए गए हैं)। जप के समय से अधिक महत्तवपूर्ण है मंत्र जप करते समय मनुष्य की मानसिक स्थिति। ज्यादातर लोग सुबह के समय मंत्रों का जाप करना पसंद करते हैं क्योंकि वे रात की नींद के बाद ताजगी महसूस करते हैं। इसी तरह, कुछ लोग दिन का काम खत्म करने के बाद शाम को मंत्रों का जाप करना पसंद करते हैं। इसलिए मानसिक रूप से संतुष्टि के अनुसार ही जप का समय तय करना चाहिए।
प्र. 3. क्या मुझे एक दिन में कई मंत्रों का जाप करना चाहिए या फिर हर बार एक ही मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: वैदिक मंत्रों का जाप करने में कोई प्रतिबंध नहीं है, आप एक मंत्र का जाप भी कर सकते हैं और कई मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। हालांकि, कुंडली के अनुसार किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए विशिष्ट मंत्र का पाठ करना लाभकारी माना जाता है।
प्र. 4. क्या मंत्र का जाप जोर से करना अनिवार्य है? क्या मन में उनका जाप करना उतना ही प्रभावशाली होगा?
उत्तर: मंत्र जाप करने प्रक्रिया को जप भी कहते हैं। हम मंत्रों का जाप मौन रह कर भी कर सकते हैं। कई लोगों को लगता है कि जब वे मंत्रों का उच्चारण ज़ोर से करते हैं तब वे उसपर अधिक घ्यान केंद्रित कर पाते हैं। मंत्र जाप में ध्यान और विश्वास महत्वपूर्ण कारक हैं। यदि आप मौन जाप करते हुए भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं तो इस प्रकार जाप करना भी बिल्कुल ठीक है। इसके अलावा, हमें बुद्धिरहित अथवा जल्दबाजी में या महज़ औपचारिकता के लिए मंत्रों का जाप नहीं करना चाहिए।
प्र. 5. क्या हमें किसी भी मंत्र का जाप किसी विशिष्ट संख्या अर्थात 40 दिन अथवा 51 दिन लगातार करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र के प्रत्येक जाप के अपने लाभ होते हैं और सभी जाप जुड़ते जाते हैं। अन्य शब्दों में, यह मिथ्या है कि किसी भी प्रकार के लाभ के लिए मंत्र का जाप लगातार 40 दिन, 51 दिन या 108 दिन करना चाहिए। मसलन, अगर हम सिर्फ गहरी सांस लेते हैं और उसे ओम् के उच्चारण के साथ छोड़ते हैं तो तुरंत हम एक शांति का अनुभव कर सकते हैं।
प्र. 6. सही ढंग से मंत्र जाप कैसे करें? क्या मंत्र का सही उच्चारण नहीं करने से नुकसान होता है?
उत्तर: मंत्र के अक्षरों और अक्षरों के लिए 'भाव' या 'समर्पण' भावना मंत्र जाप करने के तरीके से अधिक महत्वपूर्ण है। मंत्रों के जाप करने के कई तरीके बताए गए हैं। जब हम लगातार इनका उच्चारण करते हैं तो कुछ समय बाद इनका उच्चारण स्वत: ही सही होने लगता है। कई शास्त्रीय ग्रंथों में अक्षर शुद्धि, मात्रा शुद्धि और स्वर शुद्धि पर जोर दिया गया है। मेरी ज्योतिष यात्रा में अब तक प्राप्त फीडबैक से मुझे लगता है कि भले ही ये शुद्धियां महत्वपूर्ण हैं, लेकिन 'ध्यान' और ‘श्रद्धा’ या समर्पण भावना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
मंत्र सात्विक होते हैं। ऋषियों ने मानवता के प्रति शाश्वत और दिव्य प्रेम से इन मंत्रों की रचना की है। यदि इनके उच्चारण से कोई लाभ नहीं हो रहा है तो कोई नुकसान भी नहीं होगा। इसलिए हमें मंत्रों के गलत उच्चारण और उसके तत्संबंधी परिणामों की चिंता नहीं करनी चाहिए।
प्र. 7. मंत्र जाप के लिए सही आसन कौन-सा है? क्या मंत्रों को लेटकर भी किया जा सकता है?
उत्तर: हम किसी भी मुद्रा में मंत्र जाप कर सकते हैं जो सबसे आरामदायक हो चाहे बैठकर, लेटकर या खड़े रहकर। एक प्राचीन विचारधारा के अनुसार रीढ़ की हड्डी हमारे सिर की सीध में होनी चाहिए ताकि जब कुंडलिनी जगे तो इसे ऊपर जाने में कोई बाधा न हो। हालांकि मेरा नजरिया थोड़ा अलग है। सबसे पहले कुंडलिनी का जगना गहरे ध्यान के अंतिम चरणों में से एक स्थिति है जिसे निरंतर साधना और त्याग से ही प्राप्त किया जा सकता है। हम सब भौतिकवाद में रहकर अध्यात्म की पालना करते हैं ना कि सन्यासी होकर। दूसरा, मंत्र जाप करने से स्नायुतंत्र बेहतर होता है। अन्य शब्दों में कहें तो मंत्रों को सुनना या बोलना मानसिक क्रिया है। शारीरिक क्रिया आरामदायक स्थिति में होने पर ही मानसिक क्रिया बेहतर हो सकती है। इसलिए मंत्र जाप अत्यंत आरामदायक शारीरिक मुद्रा में करना श्रेष्ठ है।
आज के आधुनिक समय में मंत्र जाप के 5 सरल तरीके:
मंत्र सिद्धि एक अत्यन्त कठिन लक्ष्य है जिसके लिए पूर्ण त्याग और साधना की आवश्यकता होती है। आज की दुनिया में जहां हमारे पास समय की कमी है, हमें जप के उन तरीकों को अपनाने की जरूरत है जो व्यावहारिक हों और कर्मण्य हों। मैं सैकड़ों जन्मकुंडलियों को देखने के बाद अपने अनुभव से विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि एक प्रभावी उपचारात्मक अनुभव के लिए मंत्र जाप करते समय निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाना उचित है:
1. आरामदायक मुद्रा चुनें- चाहे बैठ जाएं, लेट जाएं, खड़े रहें कोई फर्क नहीं पड़ता।
2. इसके बाद मन को स्थिर करने के लिए धीरे-धीरे तीन से चार लंबी गहरी सांसें लें।
3. इसके बाद 2-3 बार देर तक ओम् का उच्चारण करें।
4. हमें मंत्रों के दो उच्चारणों के बीच कम-से-कम एक बार गहरी सांस लेनी चाहिए।
5 अंत में हमें 2-3 बार देर तक ॐ का उच्चारण करना चाहिए
विशेष ध्यानाकर्षण:
‘इण्डिया ग्राउंड रिपोर्ट’ नकारात्मकता के इस दौर में एक सकारात्मक पत्रकारिता का प्रयास है। ‘इण्डिया ग्राउंड रिपोर्ट’ ने हाल ही में एक किताब प्रकाशित की है - ‘उजाले की ओर’ - जिसमें संकलित हैं आशा, साहस, उजाला एवं उम्मीद से भरे विचार। इसी किताब में पृष्ठ 41-43 पर यह लेख प्रकाशित हुआ है - मंत्र एक आलौकिक शक्ति हैं जो जीवन को सकारात्मक राह पर ले आते हैं। कृपया पढ़ें और शेयर कर अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करें 🙏🏻
निष्कर्ष:
मंत्र रूहानी या आत्मिक तरक्की के लिए सात्विक और दिव्य वाहन हैं। हजारों वर्षों से मंत्र जाप उपचारात्मक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण घटक है। हमें मंत्र जाप को जटिल न करके जन-जन तक पहुँचाना है। हमारे महान संत व्यावहारिक जन थे। उन्होंने समाज की भलाई के लिए इन मंत्रों का चयन किया। हमें अपने भौतिक अस्तित्व की बेहतरी के लिए इन वैदिक मंत्रों की शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
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